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पुनरीक्षित वेतन मैट्रिक्स में वेतन निर्धारण

नीचे शासनादेशों के लिंक हैं। क्लिक करेंगे तो मिल जाएगा। शासनादेश २२ दिसम्बर २०१६ वेतन मैट्रिक्स की स्वीकृति शासनादेश २० दिसम्बर २०१६...

Thursday, January 9, 2020

भंडार क्रय


1-पारम्परिक व्यवस्था
2-संक्रमण काल
3-वर्तमान/आधुनिक काल
स्रोत=नियम और प्रक्रिया की विस्तृत विवेचना FHB Volume 5 part-1के अद्याय 12 व परिशिष्ट 18 तथा 19 में उल्लखित है। उपरोक्त्त के अतिरिक्त बजट मैनुअल के प्रस्तर 12 व 174 में क्रय सम्बंधी सिद्धांतों की विवेचना की गई है। इसके साथ-साथ समय-समय पर निर्गत क्रय संबंधी शासनादेश भी महत्वपूर्ण है।
शासनादेश 27 अप्रैल 2001
इसमें निविदा संबंधी कई महत्वपूर्ण व्यवस्था का उल्लेख मिलता है जैसे....
(1) रिपीट आर्डर नहीं देना चाहिए
(2) एक ही दाम के तीन टेंडर है तो तीनों को बराबर बराबर आर्डर दिया जाए।
(3) एक प्रति सूचना विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करना है।
शासनादेश सितंबर 2008
क्रय संबंधी विधि सीमा का संशोधन।

शासनादेश 1 अप्रैल 2015

इस शासनादेश के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक गैजेट/ वस्तुओं के क्रय किए जाने की व्यवस्था अपनाई गई है जैसे सीसीटीवी/ बायोमेट्रिक थम्स, एलईडी टीवी।
शासनादेश जनवरी 2016
दर अनुबंध (रेट) संबंधी समस्या को केंद्रीकृत करते हुए दर अनुबंध करने का अधिकार उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन निदेशालय को प्रदान किया गया है।
शासनादेश 1 अप्रैल 2016
उत्तर प्रदेश प्रोक्योरमेंट आफ गुड्स मैनुअल  का लागू किया जाना। उत्तर प्रदेश सरकार एक नियम संग्रह प्रख्यापित कर रही है जिसमें सभी विभागों को इसके अनुसार शासनादेश निर्गत करना होगा। जो विभाग जिस डेट से शासनादेश निर्गत करेगा उस तिथि से उस विभाग में यह नियम लागू होगा।
सितंबर 2008 के G.O.द्वारा जो वित्तीय सीमा का निर्धारण किया गया था उसमें संशोधन किया जाएगा तब तक पूर्व सीमा ही मानी जाएगी।
क्रय संबंधी अधिकारियों के जो वित्तीय अधिकार हैं, उन्हें भी सक्षम द्वारा संशोधित किया जाएगा।
340 पेज का प्रोक्योरमेंट गवर्नमेंट मैनुअल है वह इस शासनादेश का संलग्नक है।
इसमें ग्लोबल परचेसिंग जी को भी ध्यान में रखा गया है।
दूसरे प्रदेशों के प्रोक्योरमेंट मैनुअल को और भारत सरकार के मैनुअल को भी लिया गया है।
वर्ल्ड बैंक के दिशा निर्देशों को भी उत्तर प्रदेश प्रोक्योरमेंट मैनुअल में शामिल किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय क्रय में भी काम आएगा।
के.स.आ. ने जो भी जाँच, सिफारिश की है उसको भी शामिल किया गया है।
माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय को भी इसमें शामिल किया  गया है।
इसके महत्वपूर्ण चैप्टर निम्न हैं:-
(1) procurement concept
(2) Principal
(3) Indent
(4) Publicity advertisement
(5) Tender Document
(6) Contract
(7) Settlement of disputes
(8)Cost=TDC =(1)GT (2)S.T.
G.T=10,00,000=है तो 400-1500
1000000 से अधिक 2500 अधिकतम, न्यूनतम 400
S.T.=0.25% ......
धरोहर राशि=0.5% to 2%, एक लाख पर 1500 फिक्स है।
इसके ऊपर प्रत्येक एक लाख या उसके किसी भाग पर 1000 अतिरिक्त।
Security Mony =10%
Preference Security 5%
(9) Inventory management स्टोर प्रबंध
अनकंडीशनल होना चाहिए। शर्त रहित हो। किसी प्रकार का ओमिशन नहीं होना चाहिए।  रिजर्वेशन नहीं होना चाहिए।  जो डायरेक्शन दिए गये है उसमें फर्क नहीं होना चाहिए।
(10) समय निर्धारित कर दिया गया है। यह भारत सरकार के समय सारणी के अनुरुप है।
(11) Methods:-
(1)OT-ATE खुली निविदा एडवर्टिजमेंट टेंडर इंक्वायरी
(2) Single Tendor एकल निविदा इसमें चार परिस्थितियां हो सकती हैं:-
(1) जब कोई वस्तु पेटेंट हो शासन से अनुमति लेनी होगी।
(2) प्राकृतिक आपदा पर सक्षम अधिकारी स्वतः निर्णय लेगा।
(3) राष्ट्रीय आपदा, युद्ध जैसी परिस्थितियों पर सक्षम अधिकारी स्वतः निर्णय लेगा।
(4) गोपनीय क्रय
(3)  सीमित निविदा- जब ओपन टेंडर की स्थिति न हो, समय का अभाव हो तो इसमें से दो, चार फर्म को पकड़ते हैं। सिंगल नहीं होगा। फर्म का चिन्हांकन काफी सतर्कता से करते हैं।
(4) ऑन द स्पॉट परचेसिंग- 1 अप्रैल 2016 का मूल शासनादेश। क्रय की सीमा का सक्षम अधिकारी द्वारा निर्धारण होता है। कमेटी गठित होगी कमेटी 3 सदस्य होगी। राजपत्रित, लेखा नियम का जानकार इसमें शामिल किया जाएगा बाजार का सर्वे करें और कार्यलय फाइल के प्रारुप के अनुरुप आख्या होनी चाहिए। प्रारुप प्रोक्योरमेंट में संलग्न है।
क्रय संबंधी बुनियादी सिद्धांत
.....................................
क्रय किए जाने से पूर्व बजट की उपलब्धता को अवश्य सुनिश्चित कर लेना चाहिए।
सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति प्राप्त कर लेनी चाहिए।
क्रय संबंधित नियमों व व प्रक्रियाओं का संज्ञान किया जाना चाहिए।
क्रय करते समय दृष्टिकोण वह मानसिकता वैसी ही होनी चाहिए जैसा कि कोई सामान्य विवेक का व्यक्ति निजी धन के माध्यम से क्रय करता है।
5(R) के सिद्धांत का पालन किया जाना चाहिए। जो निम्न है:-
राइट प्राइस
राइट क्वालिटी
राइट क्वांटिटी
राइट टाइम
राइट सोर्स
तात्कालिक आवश्यकता के क्रम में ही क्रय किया जाना चाहिए।
व्यय करते समय यह जरूर सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उक्त प्रकार के व्यय के द्वारा किसी व्यक्ति, समुदाय इत्यादि विशेष के लिए किसी लाभ की स्थिति तो पैदा नहीं हो रही है। यह तभी किया जाना चाहिए कि जब सक्षम स्तर द्वारा ऐसे किए जाने की व्यवस्था या उपबन्ध किया जाए।
रूल्स ऑफ फाइनेंसियल प्रोप्राइटी (मानक) का ध्यान रखा जाना चाहिए।
उपरोक्त शासनादेशों के अतिरिक्त शासन द्वारा कुछ विशेष उपक्रमों, संस्थाओं इत्यादि के संदर्भ में क्रय संबंधी शासनादेश निर्गत किए जाते रहे हैं। उदाहरण के तौर पर (1)कर्मचारी कल्याण निगम, (2) हथकरघा (3) खादी ग्रामोद्योग(4)यूपिका इत्यादि। इनके माध्यम से क्रय किए जाने पर शासकीय विभागों की विभागों को सामान्य क्रय नियमों में कुछ रियायत/ छूट जैसे कि अर्नेस्टमनी/ सिक्योरिटी मनी आदि से छूट भी प्राप्त होती है।
शासनादेश दिनांक 12 मई 2017
उत्तर प्रदेश में ई टेंडर की व्यवस्था को अनिवार्य किया गया।
शासनादेश दिनांक 23 अगस्त 2017
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जेम पोर्टल की व्यवस्था को लागू किया जाना।
शासनादेश 25 अगस्त 2017
जेम पोर्टल पर पंजीयन की प्रक्रिया का उल्लेख है।
शासनादेश दिनांक 30 नवंबर 2017
जेम पोर्टल से क्रय की गई वस्तु, सामग्री, सेवा इत्यादि का भुगतान पूल अकाउंट से किए जाने की व्यवस्था का उल्लेख है। पूल अकाउंट एसबीआई में एक बचत खाता होगा। खोलने की जिम्मेदारी नोडल डिपार्टमेंट की होगी। यह जेम , ट्रेजरी, विभाग से लिंक होगा।
शासनादेश 24 अप्रैल 2018
मई 2017 के जियो में शिथिलता दी गई जियो में शिथिलता दी गई के जियो में शिथिलता दी गई में शिथिलता दी गई 100001 से 1000000 तक मैनुअल टेंडर होगा या ई टेंडर होगा यह विभाग तय कर सकता है।
शासनादेश दिनांक 27 अप्रैल 2018
जेम से संबंधित दिशानिर्देश है। डीडीओ जेम पोर्टल का भुगतान करेगा। जो डीडीओ के रूप के रूप में होगा वह बायर नहीं होगा। बायर कोई भी पदाधिकारी हो सकता है। डीडीओ और कनसाइनी एक ही होगा। बायर एक से अधिक हो सकता है। एक से अधिक कनसाइनी हो सकते हैं। यह संख्या सीमित नहीं है।
भंडार क्रय से आशय
1-पारम्परिक व्यवस्था-
D.P.=Direct Purchase
Q=Quotation
T=Tender
M=Miscellaneous=self sufficient unit कर्मचारी कल्याण निगम, गाँधी आश्रम, उद्योग निदेशालय, पंचायत
इनसे क्रय में टेंडर की आवश्यकता नहीं पड़ती।
2-संक्रमण काल=Procurement Goods Manuals शासनादेश 01-04-2016
GeM=Government Electronic Market Place एक ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल है।
ऑनलाइन बिड आमंत्रित करेंगे। खुली प्रतियोगिता होगी।
पोर्टल ही बताएगा कि समान उपलब्ध है या नहीं है।
स्क्रीनशॉट और प्रिंट में यह फर्क है कि स्क्रीनशॉट में दिनांक और समय आ जाता है।
GeM dinamic Website होती है इसमें समान के दाम बदलते रहते हैं।
Add to Cart--करने से 10 दिन के लिए फ्रिज हो जाता है।
क्रय की पारंपरिक प्रणाली
(1)प्रत्यक्ष क्रय
(2)कोटेशन
(3)टेंडर
(1)प्रत्यक्ष क्रय:- मांग पत्र, मार्क, नोट शीट स्वीकृति आवश्यक है। यह DDO के विवेक पर निर्भर करता है कि वह कमेटी बनाए बनाए या सीधे निर्णय लेकर क्रय आदेश जारी करें। वित्तीय वर्ष के सापेक्ष कार्यालय में एक स्थाई कमेटी बना दी जानी चाहिए जिसमें सदस्यों की संख्या विषम हो जैसे 3,5,7 सदस्य। यह अच्छा रहेगा। स्टॉक रजिस्टर में चढ़ाने से पहले परचेज ऑर्डर से सत्यापन कर लेना चाहिए।

(2) कोटेशन:- इसकी प्रक्रिया भी मांग पत्र से शुरू होती है होती है होती है से शुरू होती है होती है होती है। वही सब प्रक्रिया अपनाएंगे जो प्रत्यक्ष कर में अपनाते हैं अपनाते हैं। यहाँ क्रय समिति का बनना अनिवार्य है।

कोटेशन ज्ञाप- सामान की दर दर सभी प्रकार के क्रयों को शामिल करके होना चाहिए। भुगतान का आधार क्या होगा? पेमेंट करते समय टीडीएस कटौती का उल्लेख होना चाहिए। यह ज्ञाप, डिस्पैच के माध्यम से भेजा जाएगा। कोटेशन जो प्राप्त होगा वह भी डिस्पैच के माध्यम से प्राप्त होना चाहिए । जहाँ डिस्पैच से नहीं मंगाया जाता ऐसे केसों को सीबीसी ने कोट करते हुए भ्रष्टाचार का कारण बताया है।

हस्ताक्षर में दिनांक अंकित होना चाहिए कमेटी के सभी सदस्यों का हस्ताक्षर होना चाहिए। कंपैरेटिव चार्ट बन जाना चाहिए। कमेटी की संस्तुति कंपैरेटिव चार्ट कंपैरेटिव चार्ट के आधार पर लेनी चाहिए। रेट क्वालिटी एक हो हो तो दो फर्म की की तो समान आर्डर दिया जाएगा जाएगा दिया जाएगा जाएगा किसी एक के पक्ष में निर्णय देना हो तो तो तो कारण बताते हुए लिखना होगा और वह कारण पुष्ट होना चाहिए।

(3) टेंडर (निविदाएं)

इसकी निम्नांकित प्रक्रिया होती हैं:-
विज्ञप्ति (प्रचलित राष्ट्रीय अखबार में)
निविदा प्रपत्र
प्रचार प्रसार
तिथि- अंतिम व खुलने का समय
तुलनात्मक विवरणी
अनुबंध
क्रय आदेश
आपूर्ति
सत्यापन
भुगतान
सिक्योरिटी धनराशि की वापसी
निविदा प्रपत्र,-इसमें नियम शर्तों व प्रक्रियाओं का उल्लेख होना चाहिए। लक्ष्य होना चाहिए कि निविदा सफल चाहिए कि निविदा सफल हो।  वाद विवाद ना ना हो। भ्रामक वाक्य निविदा में न निविदा में न लिखें। भाड़ा वगैरह तय कर कर ललें। वाद होने पर वाद क्षेत्र कहां होगा, इसका स्पष्ट उल्लेख किया जाए।  टेंडर किस स्तर का है? ग्लोबल हो तो भाषा भी इंटरनेशनल होनी चाहिए इंटरनेशनल होनी चाहिए।

निविदा का तकनीकी पहलू (टेक्निकल बीड)
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निविदा प्रपत्र की एक फीस होती है। शासनादेश का अनुकरण करेंगे। 1984 का जियो है। इसमें एक स्लेब बना बना है प्रोक्योरमेंट मैन्युअल के अनुसार 1 अप्रैल 2016 के अनुसार फीस निर्धारित होगी। अब न्यूनतम 400 है।

प्रीबिड लाना चाहिए। सबमिट होने की अंतिम तिथि। खोलने का स्थान, समय निर्धारित। निविदा दाताओं के सम्मुख ही खोली खोली जाएगी। समिति के सभी सदस्य उपस्थित हों। उपस्थिति पंजिका रखना चाहिये। लिफाफे के खोले जाने से पूर्व सभी अधिकारी का तारीख के साथ हस्ताक्षर।  तकनीकी बिड पहले खोला जाएगा और जिन फर्मों की तकनीकी बिड सही सही सही होगी तभी फाइनेंसियल बिड खोला जायेगा। सैंपल लिफाफा भी हो सकता है। कोई चीज गोपनीय नहीं होगी । पढ़कर नहीं होगी । पढ़कर सभी को सुनाया जाएगा। लिफाफे खुलने के बाद कंपैरेटिव चार्ट बनाएंगे। यह चार्ट पत्रावली पर रखा जाएगा। कमेटी अध्यक्ष की स्वीकृति भी लेनी होगी। एल आई के रूप के रूप में कैसी फर्म होगी। एक से अधिक फर्म को मिल सकता है । जमानत की राशि वापस करनी होगी जिनको टेंडर नहीं नहीं मिला। अनुमानित निविदा मुरली का का 5% से 2% जमानत राशि होती है। धरोहर की धनराशि किसी भी रूप में ले सकते हैं। एन एस सी, बैंक ड्राफ्ट, डीडी। उचित होगा कि बैंक ड्राफ्ट, डीडी मिले और सत्यापित भी करा ले ले करा ले ले। 0% से 2% तक हो सकती है निविदा की गंभीरता के लिए भी धरोहर राशि का महत्व है। असफल निविदा दाता  की अर्नेस्ट मनी को 48 घंटे के भीतर वापस कर देना चाहिए और प्राप्ति प्राप्त कर लेना चाहिए। सफल निविदा दाताओं के बीच सावधानी रखनी होगी । अनुबंध पंजीकृत होगा। क्रेता और विक्रेता के मध्य कॉन्ट्रैक्ट एक्ट के तहत अनुबंध होता है। 10% जमानत की राशि ले लेंगे।

टेंडर, कॉन्ट्रैक्ट पी ओ ... तीनों में कोई फर्क नहीं होना चाहिए होना चाहिए। तीनों कार्यालय के अभिलेख है। सीबीआई सीवीसी सर्वोच्च न्यायालय ने भी यह जरूरी बताया है। रिफंड आफ सिक्योरिटी अमाउंट जमानत की राशि को अंत में वापस करनी होगी।

कोटेशन एवं टेंडर में तकनीकी अंतर

(1)दोनों के मध्य वित्तीय सीमा का अंतर होता है
(2)निविदा है तो निविदा प्रपत्र अनिवार्य है जबकि कोटेशन में कोई निर्धारित प्रारूप नहीं है।
(3)निविदा के लिए निविदा का प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रचार प्रसार करना चाहिए। सूचना विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करना चाहिए। कोटेशन में यह अनिवार्य नहीं है।
(4)पूर्व निर्धारित तिथि, स्थान, व समय पर निविदा खोला जाएगा। निविदा समिति के सदस्यों निविदा दाताओं की उपस्थिति में खोला जाएगा जबकि कोटेशन में उपस्थिति जरूरी नहीं है।
(5)निविदा हेतु अर्नेस्टमनी अनिवार्य है जबकि कोटेशन है तो ऐसी कोई बात नहीं है।

नोट:- यह ट्रेनिंग के समय श्री मानवेन्द्र सिंह सर की कक्षा में उनके लेक्चर पर आधारित नोट्स हैं। मेरे समझने में या लिखने में त्रुटि हो सकती है। कमेंट में कमी बताएं तो सुधार किया जाय।







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